आज मेरी माउंट आबू यात्रा का आखिर दिन था । कल हम नक्की झील और माउंट आबू बाजार घूमे थे। आज मुझे गुरू शिखर और दिलवारा जैन मंदिर जाना था।
रात को नींद अच्छी आयी, लेकिन मुझे सुबह जल्दी उठ कर निकलना था, ताकि सूर्योदय के नज़रा देख सकू। लेकिन आँख ही नही खुली समय से, सो नही देख पाया। 8.30 तक तैयार हो कर मैं आपकी स्कूटी से निकल पडा गुरू शिखर जाने वाले रास्ते पर। आज कल जीपीएस सब के पास है तो रास्ते ढूंढने मैं तो परेशानी आयी नही।
माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेते हुए हम जा पहुचे गुरू शिखर 10 बजे। स्कूटी पार्किंग मे पार्क की , ।
आगे जाने के लिए हमे पैदल ही जाना पड़ता है।
गुरू शिखर अरावली की सबसे ऊंची चोटी हैं, यह 1722 मीटर की ऊंचाई पर है।
यहां भगवान विष्णु को समर्पित दत्तात्रेय का मंदिर है। मैंने भी पहले मंदिर मे दर्शन किये। फिर अरावली की इस खूबसूरत शिखर पर पहुचा। गुरू शिखर से निचे का दृश्य बहुत सुंदर दिखाई पड़ता है।
यहां से हम कई किमी. दूर का नज़ारा देख सकते हैं। दूर तक फैली हरियाली और शांति हर किसी का मन मोह लेती है।
यहां करीब 2 घंटे रुकने के बाद मे निकल पड़ा दिलवाड़ा के प्राचीन और खूबसूरत जैन मंदिर देखने। पर सुबह से कुछ खाया नही था तो सोचा कुछ पहले कुछ खा लिया जाए। मंदिर के बाहर ही बने रेस्तराँ पर खाया खाया, और निकल पड़ा मंदिर देखने, अंदर कैमरा ले जाना मना । सो मन मार कर कैमरा बाहर ही छोड़ कर जाना पड़ा।
यहां कोई गाइड नही है मंदिर के कर्मचारी ही यहां के गाइड है, दिलवारा जैन मंदिर पांच मंदिरो का समूह हैं।
इन सभी मंदिरों का निर्माण गयरवी से बाहरवी शताब्दी के मध्य मै हुआ था। यह मंदिर बेहद खूबसूरत हैं और ये मंदिर जैन तीर्थंकर को समर्पित हैं।
यहां वस्तुपाल और तेजपाल भाइयों द्वारा बनवाया हुआ मंदिर भी हैं। इसे देवरानी जेठानी का मंदिर भी कहते है।
यह मंदिर संगमरमर से बने और इन पर की गई नक़्क़ाशी हर किसी का मन मोह लेती हैं।
यहां की मूर्तियां निर्माण कला का सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
यहां 800 किलो सोने से बनी मूर्ति भी है।
सच मे मज़ा आ गया यहां आके। माउंट आबू आना और दिलवारा मंदिर न देखना आपकी यात्रा को अधूरी रख सकते हैं। जब भी यहां आए इन मंदिर को जरूर देखें।
यहां निकलते हुए मुझे 3 बज चुके थे। आज श्याम को मेरी बस भी थी अजमेर के लिए तो मुझे होटल से चेक आउट भी करना था। सो मैं होटल के लिए निकल पड़ा। और 4 बजे होटल छोड़ दिया। 5 बजे मेरी अजमेर की बस थी।।
हांलकि मैं माउंट आबू को इतना अच्छे से एक्सप्लोर नही कर पाया।।। लेकिन माउंट आबू मैं जितना घूमा मुझे बहुत खूबसूरत लग और मैने अपने सफर का पूरा मज़ा लिया इस बार समय थोड़ा कम था।
फिर कभी आना हुआ माउंट आबू तो ज्यादा समय के लिए आऊंगा।
रात को नींद अच्छी आयी, लेकिन मुझे सुबह जल्दी उठ कर निकलना था, ताकि सूर्योदय के नज़रा देख सकू। लेकिन आँख ही नही खुली समय से, सो नही देख पाया। 8.30 तक तैयार हो कर मैं आपकी स्कूटी से निकल पडा गुरू शिखर जाने वाले रास्ते पर। आज कल जीपीएस सब के पास है तो रास्ते ढूंढने मैं तो परेशानी आयी नही।
माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेते हुए हम जा पहुचे गुरू शिखर 10 बजे। स्कूटी पार्किंग मे पार्क की , ।
आगे जाने के लिए हमे पैदल ही जाना पड़ता है।
गुरू शिखर अरावली की सबसे ऊंची चोटी हैं, यह 1722 मीटर की ऊंचाई पर है।
यहां भगवान विष्णु को समर्पित दत्तात्रेय का मंदिर है। मैंने भी पहले मंदिर मे दर्शन किये। फिर अरावली की इस खूबसूरत शिखर पर पहुचा। गुरू शिखर से निचे का दृश्य बहुत सुंदर दिखाई पड़ता है।
यहां से हम कई किमी. दूर का नज़ारा देख सकते हैं। दूर तक फैली हरियाली और शांति हर किसी का मन मोह लेती है।
यहां करीब 2 घंटे रुकने के बाद मे निकल पड़ा दिलवाड़ा के प्राचीन और खूबसूरत जैन मंदिर देखने। पर सुबह से कुछ खाया नही था तो सोचा कुछ पहले कुछ खा लिया जाए। मंदिर के बाहर ही बने रेस्तराँ पर खाया खाया, और निकल पड़ा मंदिर देखने, अंदर कैमरा ले जाना मना । सो मन मार कर कैमरा बाहर ही छोड़ कर जाना पड़ा।
यहां कोई गाइड नही है मंदिर के कर्मचारी ही यहां के गाइड है, दिलवारा जैन मंदिर पांच मंदिरो का समूह हैं।
इन सभी मंदिरों का निर्माण गयरवी से बाहरवी शताब्दी के मध्य मै हुआ था। यह मंदिर बेहद खूबसूरत हैं और ये मंदिर जैन तीर्थंकर को समर्पित हैं।
यहां वस्तुपाल और तेजपाल भाइयों द्वारा बनवाया हुआ मंदिर भी हैं। इसे देवरानी जेठानी का मंदिर भी कहते है।
यह मंदिर संगमरमर से बने और इन पर की गई नक़्क़ाशी हर किसी का मन मोह लेती हैं।
यहां की मूर्तियां निर्माण कला का सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
यहां 800 किलो सोने से बनी मूर्ति भी है।
सच मे मज़ा आ गया यहां आके। माउंट आबू आना और दिलवारा मंदिर न देखना आपकी यात्रा को अधूरी रख सकते हैं। जब भी यहां आए इन मंदिर को जरूर देखें।
यहां निकलते हुए मुझे 3 बज चुके थे। आज श्याम को मेरी बस भी थी अजमेर के लिए तो मुझे होटल से चेक आउट भी करना था। सो मैं होटल के लिए निकल पड़ा। और 4 बजे होटल छोड़ दिया। 5 बजे मेरी अजमेर की बस थी।।
हांलकि मैं माउंट आबू को इतना अच्छे से एक्सप्लोर नही कर पाया।।। लेकिन माउंट आबू मैं जितना घूमा मुझे बहुत खूबसूरत लग और मैने अपने सफर का पूरा मज़ा लिया इस बार समय थोड़ा कम था।
फिर कभी आना हुआ माउंट आबू तो ज्यादा समय के लिए आऊंगा।
गुरू शिखर |
दिलवारा जैन मंदिर |
दूर दूर तक फैली हरियाली |
वैक्स म्यूजियम |
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